शुक्रवार, 21 मार्च 2025

युद्धघोष

               हर गरीब  मां बाप  अपने बच्चों को पढ़ा लिखाकर कर काबिल बनता देखकर खुश हो जाते हैं, उम्मीद रखते हैं कि उनके बच्चे काबिल होकर घर  में खुशहाली लेकर आएंगे, घर की तकदीर बदल देंगे ,गरीबी और अभावों में गुजरे जीवन को सुख देंगे , बच्चे भी सोचते हैं, हमारे मां बाप जो हमें काबिल बनाने में हर तरह की तकलीफ का सामना करते हैं कल हम काबिल होकर अपने माता-पिता की खिदमत करेंगे, अपने जिम्मेदारीयों को पूरा करेंगे, कष्ट भरा जीवन गुजारने वाले मां बाप की आंखों में ख़ुशी और संतोष की चमक देखें।
              ' राजू '  भय्या भी तो अपने छोटे भाई ' मनु ' से आशा करते हैं कि..' वो पढ़ लिख कर हमारे घर की तकदीर बना देगा ' , मां यशोधरा ने पति चिरंजीलाल के गुजर ( Murder)  जाने पर अपने चौदह वर्ष के बेटे राजू से कहा था कि दोनों भाई मिलकर मामा के साथ काम करलो .. तब राजू ने कहा था - ' मां  मनु अभी छोटा है , और ये पढ़ाई लिखाई में बहुत होशियार है इसे पढ़ने दो , ये पढ़-लिखकर अफसर बनेगा  मां ,घर की तकदीर बदल देगा ..'। मां राजू से कुछ न बोली।
    जो उम्मीद राजू अपने भाई मनु से रखता है वहीं उम्मीद तो राजू भय्या के शराबी ताऊ ' नारायण ' भी अपने बेटे ' जीतू से रखता है, ।  राजू भय्या मनु के कामयाब होने का धैर्य के साथ इंतजार करता लेकिन नारायण में धैर्य नहीं है, वह कभी कभी ग़रीबी से मुक्ति के लिए बेचैन हो जाता है , और  दारु की झोंक में अपने जवान बेटे  जीतू से कह बैठता है - ' टीसी बाबू की सैना में भर्ती हो जा, तेरी निशाने बाजी इस घर की ग़रीबी को एक झटके में खत्म कर देगी''। इस पर जीतू ने कहा था - ' आप अपने ही बेटे को अपराध जगत का हिस्सा बना देना चाहते हैं।'  ( जीतू ने स्टेट लेवल का निशानेबाजी का खिताब जीता हुआ था।)

    नारायण  हंसकर टाल देता, नारायण जानता है टीसी राजनीतिक माफिया है, और कभी जब वो महापालिका का ठेकेदार था तो उसने , नारायण के छोटे भाई (  मनु व राजू के पिता ,)  चिरंजीलाल को जन्मअष्टमी   की रात में यशोधरा के सामने उसी बरसाती नाले में डुबोकर मार दिया था , जिसकी अर्जी चिरंजीलाल ने डीएम के यहां भेजी थी, और वापस लेने से इन्कार कर दिया था । नारायण इस कहानी में एक फनी किरदार भी है।
      मनु व जीतू  बहुत मेहनत से तैयारी कर यूपीएससी के
सरकारी नौकरियों के लिए कंपटीशन में बैठते हैं , वें अपने  पहली ही कोशिश में प्रिलिमिनरी टैस्ट व उसके बाद होने वाले मेन लिखित टैस्ट में पास हो गये थे, लेकिन इंटरव्यू में फैल हो गये थे । उसके बाद फिर दो बार कंपटीशन में बैठते हैं और दोनों ही बार परिक्षा का रिजल्ट नहीं आता है।  दोनों  अपने भविष्य के लिए चिंतित और परेशान हैं ।
   मां यशौधरा एक दिन राजू से कहती हैं -  ' ये मनु कभी इंटरव्यू में फेल हो जाएगा तो कभी इसके इसके इम्तिहान का नतीजा ही नहीं आएगा,  इसे अपनी तरह कोई काम करादे बेटा,  '..,। मां यशौधरा,  मनु से भी कहती हैं - ' याद है तुझे,..राजू चौदह साल का था जब इसने ये वेस्ट पेपर का काम किया था , ये काम नही करता तो हम भूखे मर जाते , और तुझे  कोई स्कूल भी नहीं भेजता , अब कुछ काम करले ,कब तक निकम्मा रहेगा '। 
मनु कहता है - ' मां मेरे पास एक साल और एक चांस बचा है, मुझे एक बार ओर  कंपटीशन में बैठने दो। '
राजू  , मनु की काबीलियत में भरोसा रखता है, वो मां से मनु के लिए एक बार इम्तिहान में बैठने की इजाजत मांगता है-  ' मां इसे एक बार और इम्तिहान देने दो।'
मां, राजू को कोई जवाब नहीं देती है। लेकिन इशारा मनु की ही तरफ है -  ' ये  कभी  कमाकर नही खाएगा , ये  कुछ बने या ना बने  तु पहले सरला का ब्याह करदे '..! 
राजू , सरला का रिश्ता महापालिका में क्लर्क  ' सुरेश ' से कर देता है, और दो लाख रुपए लड़के को केवल रिंग सेरेमनी पर दे देता है।

      मनु और जीतू , कालेज की बडी लायब्रेरी के शांत वातावरण में टैस्ट की तैयारी करते हैं और सरकारी वैकेंसी का इंतजार करते हैं। लेकिन तब सब हैरतजदा है जब सरकारी वैकेंसी नहीं निकलती है, और न्यूजपेपर  खबर देता है कि सरकार जिन्हें काबिल समझती है उन्हें लेटरल एंट्री द्वारा बिना इम्तिहान के नौकरी दे सकती हैं। 
        सब नौजवानों के मां बाप ये खबर पढ़कर निराश हो जाते हैं , और  नौजवानों की आंखों में तो आंसू हैं।सब बहुत निराश हैं। लायब्रेरी में मनु व जीतू के साथ  बैठकर तैयारी करने वाला जाहिद आंखों में आसूं लिए इन दोनों के पास आ बैठकर  बोला -
' मैं जब छोटा था करीब छः साल का , मेरे अब्बा जिंदा थे , वो सब्जी का ठेला लगाते थे ,  तो मेरी अम्मी बोली इसे भी साथ ले जाया करो काम सीख जाएगा । इस पर मै बोला - ' अम्मी सब अच्छे अच्छे कपड़े, जूते पहन कर स्कूल जाते हैं , मैं भी स्कूल जाउंगा..'।  मेरे अब्बू अम्मी ने जज्बाती होकर मुझे स्कूल भेज दिया।  जब मैं दसवी में था अचानक ही मेरे अब्बा का इंतकाल हो गया। जैसे तेसे करके पढ़ा नाकामयाबी मिली , कल अपने अब्बा का ठेला उठाकर सब्जी बेचने जाउंगा।' 
   भारी मन के साथ जाहिद वहां से चला गया, लेकिन मनु और जीतू की आंखें भी भरी हुई है।
 शाम मे दोनों अपने अपने घर जाते हैं। मनु की भरी आंखें देखकर राजू भय्या कहते हैं - '  परेशान मत हो भाई , मैं हूं ना, हर समस्या का हल निकलता है ,तु  कल पहले एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज में अपना नाम लिखादे और बायोडाटा जमा करादे , फिर कुछ काम के बारे में भी सोचेंगे।
      नारायण  खाना खा रहा था ।जीतू घर पहुंचा तो मां ने खाना परोस दिया। नारायण चुप बैठा था।
           नेक्स्ट डे , जीतू  और मनु निराश थे लेकिन अपना अपना बायोडाटा एकेडमिक डोक्युमेंट की फोटो कापी एम्प्लॉयमेंट जमा करा कर आ रहे थे । जीतू के  छोटे भाई टीनू के हाथ में सौ सौ के के दस बारह नोट थे। जहां ये खड़े थे जुआं खिलाया जा रहा था । जीतू ने टीनू का हाथ पकड़ कर खींच लिया -
' जुआं सिखा रहे हो इसे पप्पा...'
नारायण ने जीतू को देखा तो फट पड़ा - 
' जुआं तो मैंने भी खैला था , तुझ पे दांव लगाया था कि तु पढ़ लिखकर  गरीबी के उस  तिलस्म को तौड देगा जिसमें हम पीढ़ी दर पीढ़ी फंसें आते है, मेरा तो दांव ही फैल हो गया ,,'...( और कहते कहते नारायण फूट फूटकर रो पड़ा )
जीतू की आंखों के सामने बाप का आंसुओं भरा चैहरा घूम रहा था, उसके पिता  द्वारा  बोले गये शब्द उसके दिल ओ दिमाग पर बराबर चोट मार रहे हैं, वह भी अपने पिता से प्यार करता था। जीतू ने मनु से हाथ छुड़ाया और दौड़ पड़ा , घबराया हुआ मनु उसके पीछे भागा , लेकिन जीतू तो अंधेरे में गुम हो गया , वह स्वयं ही टीसी के यहां जा चुका था ,गौलियों की धाॅंय - धाॅंय  । 

      मनु ने आते हुए देखा कि उसके साथ पढ़ने वाले साथी भूपेंद्र के बाहर भीड़ इकट्ठा हैं , पुलिस भी है , मनु भीड़ के बीच से निकलता हुआ देखता है तो भूपेंद्र की सूरत देखते ही उसकी आंखें फटी रह जाती है, वह सहम जाता है। भूपेन्द्र घर की तिसरी मंजिल से से कूद गया था ।
    मनु बहुत ही घबराया था , वो घर की तरफ जा रहा था मां  के शब्दों ने उसके ज़ेहन में हलचल मचा रखी थी..' ' ये निकम्मा कभी  कमाकर नही खाएगा '..
मनु को अपनी नाकामयाबी से ज्यादा अपने भाई की उम्मीद टूट जाने का दुख है।
 मनु कीआंखे भरी थी ,...'  जीतू ,टीसी की सैना में शामिल हो गया है भय्या , बेरोजगार भूपेंद्र ने आत्महत्या कर ली है .. घबराहट होती है भाई, जो आप कहेंगे मैं वहीं काम कर लूंगा भय्या '
 राजू ने उसे अपने सीने से लगा लिया- ,'  घबरा मत भाई मैं हूं ना। आत्महत्या कभी नहीं करनी चाहिए भाई।'
इवनिंग न्यूज़ रीडर बता रहा था कि बेरोजगारी से तंग आकर ग्यारह हजार लोग आत्म हत्या कर चुके हैं। साथ ही ये खबर आ रही थी - ' सरकार काम करने के लिए पढ़ें लिखे युवाओं को दो लाख लोन देगी '।
          लोग कह रहे थे सरकार ने अपने संगठन के लोगों को बैकडोर से ले लिया है, नौजवानों के गुस्से से बचने के लिए, ये दो लाख की स्कीम निकाली है।
राजू भय्या मां मनु और सरला सब बैठे हैं, राजू भय्या बोले मां अगर मनु को दो लाख का लोन मिल जाए तो वो पैसा बड़े काम आएगा मैं इसका अलग और बढ़िया काम करा दूंगा ।
     मनु भी अपने डोक्युमेंटस की फोटो काॅपी लेकर लोन लेने वालों की लाइन में लग जाता है, लंबी लाइन उसे पहले ही फ्रस्टेट कर रही है, सुबह में लाईन में लगा था झुंझलाहट भी हो रही थी ।शाम पांच बजे उसका नंबर आया अंदर आफिस में डाॅक्यूमैंट्स देखकर लोनिंग अधिकारी बोला - ' यूपीएससी भी पास किया है एक बार ,अच्छे हैं डोक्युमेंट तो लेकिन लोन कैसे मिलेगा?, इसमें ना तो पचास हजार है, ना तो टीसी साहब सिफारिश है '।    इस पर  फट पड़ा मनु - ' ले पचास हजार ले... । '। ...मनु लोनिंग अधिकारी का गिरेबान पकड़कर उठा लेता है, हंगामा मच जाता है, -' टीसी का गू , तु खा हरामी  '.. बाहर तैनात पुलिस वाले आ जाते हैं,मनु को पकड़ कर पीछे खींचते हुए कहते हैं -
' सरकारी काम काज में बाधा डाल रहा है। '.
' वो सरे आम रिश्वत मांग रहा है, तुम्हें वो नहीं दिखता '। 
वें मनु को थाने ले जा रहे हैं ,  थाने में दारोगा सूरत सिंह मनु से पूछता है - ' हंगामा क्यों किया तूने भाई '
' बेरोजगार हूं  उसे रिश्वत कहां से दूं  , सरकार ने रिश्वत के लिए बैठाया है क्या उसे'?...
तभी दारोगा सूरत सिंह हंसने लगा फिर बोला- ' टीसी बाबू की सिफारिश ले आता '....
' टी सी!  कोढ है समाज का , मैं  कुछ बन जाता तो मार डालता उसे'!
दारोगा सूरत सिंह गम्भीरता से मनु की शक्ल देखता रहा, राजू भय्या को मनु के थाने में होने के बारे में पता चलते ही , राजू भय्या मामा तोताराम के साथ थाने पहुंच कर दरोगा सूरत सिंह के आगे हाथ जोड़कर कहते हैं '- साहब माफ कर दीजिए, आगे गलती नहीं करेगा '
सूरत सिंह मनु की तरफ इशारा कर राजू भय्या से कहता है  - ' सावधान रहना अपने भाई से,।।'
राजू समझा नहीं कि जो इंस्पेक्टर ने कहा उसका मतलब क्या है।
मनु ,राजू और मामा के साथ चुप चाप घर चला आया है।
घर में घुसते ही मां बरस पड़ी ,- ' लोन लेने गया था या जंग करने ..तुझे भी मुसीबत में डाल देगा, इसे घर से निकाल दे।' 
मां ने मनु का हाथ पकड़ कर खींचा तो राजू आज पहली बार मां के सामने जोर से बोल पड़ा - ' मां '!
मां रोने लगी - ' जिंदगी  बर्बाद हो गई हैं पढ़-लिखकर खाली हाथ खड़ा है तेरे सामने।'
राजू भय्या,  मां को शांत करता है- , ' इसकी खता क्या है मां ..दो बार रिजल्ट नहीं निकला, अब सरकार ने अपने लोगो को ले लिया, इसकी कोई खता नहीं है मां।'
          अब मनु क्या करेगा? कुल मिलाकर मां और राजू भय्या तय करते है कि सारा दिन राजू और मनु दुकान पर रहेगें  और शाम में राजू भय्या आस पास  की साप्ताहिक मार्केट में किराने का सामान बेचेंगे, बाजार बंद होने के समय  मनु बाजार में जाकर, मनु भय्या की मदद करेगा और, बाज़ार से सामान सिमटवा कर वापिस  लाएगा।
    आज संडे का दिन और थोडी दूर पर संडे मार्केट लगेगी यह संडे की मार्केट काफी बड़े एरिया में लगती है । राजू भय्या दो रिक्शा में सामान रखवा कर मार्केट में एक जगह अपना सामान सैट कर लेते हैं,  बाजार में नये नये है ,  रात होने को है , राजू भय्या की कोई बिक्री अभी तक नहीं हुई है। 
      हर मार्केट का तहबाजारी का ठेका  टीसी के लोगों के ही पास है। यें बडे  मार्केट में बैठने वाले से जगह के किराए की वसूली करने के लिए ठेकेदार के सात आठ लोग होते हैं। वो नीचे लेवल पर टीसी की दहशत कायम रखते हैं,उन्हीं में से तीन  लोग राजू भय्या की तरफ इशारा कर कहते हैं -
' नया मुर्गा आया है बाजार में '।  
' बाजार में फिर थोड़ा दहशत बनाए रखने  का भी मौका है '।
उनमें से एक राजू के पास आता है, आकर दाल का भाव पूछता है, राजू भय्या भाव बताते हैं तो वो एक ही थैले में पांच दालें एक ही जगह डलवाता हुआ दूसरे गुंडे को इशारा कर कहता  है -
' अच्छी है दाल, आजा लेले '
ऐसे ही पांच किलो दाल दूसरा ले लेता है, वो तीसरा गुंडा आकर दो किलो दाल ले  लेता है और बिना पैसे दिए चलने लगे तो राजू भय्या ने दोनो के थैले पकड़ लिए और पैसे मांगे तो वें दोनों राजू को मारने लगे , इत्तफाक से मनु भी इसी समय भाई की मदद करने आ रहा था, उसने देखा ये लोग तो मेरे भाई को ही मार रहे हैं, मनु ने राजू भय्या को कवर कर कहा मत मारो भाई , मत मारो, दो गुंडे ओर आ गये दोनों भाई पिटने लगे, रोते हुए राजू की नाक से बहता हुआ देख कर मनु आपा खो बैठा, और बराबर के ठेले पर तरबूज बेचने वाले का लंबा  चाकू उसके हाथ में आ गया उसने तीन का पेट फाड़ डाला। वो चिल्लाने लगा - ' आओ, और कौन,कौन है सबको काट डालूंगा...'
बाजार के लोग इकठ्ठा होने लगते है। मनु वह खून में सना लंबा चाकू लेकर कोतवाली की तरफ चल देता है, पीछे पीछे लोगों की भीड़ है, । कोतवाली में आई पी एस पंवार मोजूद है। टीसी को उसके लोग खबर कर चुके है कि किसी ने उसके तीन आदमियों को मार दिया है, टीसी सीधे बोलता है -'  कौन है वो शेर '!
       टीसी कोतवाली आता है , भीड़ तो अलग खड़ी है। एस पी पंवार इसे छोड़ दो , इसने किसी को नहीं मारा है, आओ नौजवान हमारे साथ चलो ..
' मैं जिंदा रहने के लिए इतना भी मजबूर नहीं हूं कि तेरा मोहताज बनके तेरे तलवे चाटूं,'।
' बड़ा मगरुर हैं '..
' तेरा कुत्ता बनने से बेहतर  तो , फांसी चढ़कर मर जाना है '
टीसी गुस्से में कहता है -
' बदतमीज!  अब तुझे मेरे तलवे भी चाटने पड़ेगें और मेरा  कुत्ता भी बनना पड़ेगा  '!
 टीसी के गुंडे मनु की तरफ बढ़ते हैं तो एस पी पंवार टीसी के लोगों के सामने रिवाल्वर लेकर आ जाता है और कहता है -  ' इसे छू भी दिया तो  भीड मार डालेगी तुम्हें '
वें सब भीड़ देखकर चले जाते हैं।
    टीसी अपने बंगले पर पहुंच कर गुस्से में कहता है, - ' मौत के मुंह में खड़ा हुआ है  और, मुझे कहता है . तेरा कुता बनने से तो, फांसी चढ़कर मर जाना अच्छा है..,  '।

               राजू की मां रात में कहती हैं - ' मुसीबत है वो लड़का 
मुसीबत, ..घर से निकाल दे उसे, तुझे उससे  मिलने नहीं जाने दूंगी '
राजू भय्या रोते रोते बोले - '  मनु खतावार नहीं है मां, . रोटी दे दो , कोतवाली में जाकर खिला दूंगा उसे,  भूखा होगा ..'
' एक दिन खाना नहीं  खाएगा तो मर नहीं जाएगा वो ।'
राजू खुद अंदर खाना लेने जाता है तो मां हाथ पकड़ लेती है रो पड़ती है - ' तु भी क्यूं तबाह होना चाहता है उसके साथ,टीसी के लोग तुझे भी मार डालेंगे राजू ..., उससे सब रिश्ते तोड़ ले।'
            मनु को बंद कर दारोगा सूरत सिंह और एस पी पंवार बैठे हुए हैं, दारोगा सूरत सिंह कहता है - ' ये लड़का टीसी का जवाब है साहब'।
' कल ही कोर्ट में रिपोर्ट और चार्जशीट दोनों जमा करनी है ,साफ लिखना इस लड़के ने सैल्फ डिफेंस में उन तीन बदमाशों को मारा , तीन कट्टे और गोलियां बदमाशों से बरामद दिखा देना,'
' जी साहब!'
पंवार ने माउजर की तरफ इशारा किया.., जमानत के बाद ये उसे दे देना, वो जो भी मांगे थे देना। ये सब कहकर एस पी साहब चले गये।
लेकिन एस पी पंवार भी टीसी की राजनीतिक ताकत से डरता है, टीसी की सिफारिश से ही वह आइपीएस बना था और टी सी की बहन से शादी भी करनी पड़ी थी। वह भी टीसी से मुक्त होना चाहता है।
   भीड़ के होटों पर मनु की प्रशंसा थी , लोग मनु की तारीफ करते हुए कहते हैं  डायलॉग दोहराते- " तेरा कुत्ता बनने से अच्छा तो , फांसी चढ़के मर जाना अच्छा है , ',।
       पुलिस   नेक्स्ट डे , मनु को कोर्ट में पेश कर देती है, कोर्ट जैल भेज देती है।
नेक्स्ट डे ज़मानत की तारीख पर बाजार के लोग भी अपने घर के कागज ले जाकर जमानत देने को तैयार हैं, लेकिन ज्योति और प्रोफेसर माधव जमानत दे देते हैं, मामा तोताराम जमानत का पर्चा लेकर जेल पर जाता है। मनु जैल से बाहर निकलता है, तो पटरी पर दुकान लगाने वाले भी जेल के बाहर खड़े है,मनु  मामा और पटरी वालों को सभी को वहां से जाने के लिए बोलता है और सीधे ज्योति के घर जाता है। 
Continue..on
©® Ashok Verma...

दूसरा हिस्सा कहानी कंटिन्यू ⬇️


      सुबह में जयोति राजू भय्या को कोर्ट ले जाकर डिक्लेरेशन रजिस्ट्रर्ड करा देती है कि राजू का उसके भाई मनु से किसी प्रकार का कोई रिश्ता नहीं है। 

       शहर में हर दिन पटरी पर लगने वाले बाजारों में मनु का चर्चा है अब जब वसूलने वाले लोग आते हैं तो दुकान लगाने वाले नगरपालिका द्वारा निर्धारित पांच रुपए हर दुकान से देते हैं जबकी पहले हर पटरी वाले से पच्चीस रुपए वसूले जाते थे , दुकानदार सीधे धौंस देने लगे थे वसूलने वाले को । टीसी के लोग समझ जाते हैं,उस लड़के मनु के कारण लोगों में उनकी दहशत कम हुई है। ये बात टीसी के प्यादे टीसी को भी बता देते हैं। टीसी , मामूली सी तहबाजारी के पैसे नहीं लेता है, मगर आवश्यकता पड़ने पर लोकल लेवल पे इन छोटे गुंडों से भी काम ले लेता है। टीसी के पास तो करोड़ों आते हैं,वह राजनीतिक माफिया है।


       टीसी के लोग मनु को ढूंढ रहे हैं,वो मिलता है तो बिना बोले उसे हंटरों से उसकी पिटाई करते हैं चार लोग चारों तरफ से हंटरो से पीटते हैं, जबकि टीसी के दो लोग हाथों में रिवाल्वर लिए खडे हैं वें जानते हैं मनु को मारना नहीं है।
 ...टीसी के गुंडे, मनु को लहू लुहान कर उसी बाजार में घसीटते हुए लाकर छोड़ जाते हैं, - ' हम जब चाहे इसे मार सकते हैं। वें मनु को बेहोश छोड़कर चले जाते हैं, तोताराम उस समय मार्केट में लिफाफे और पोलिथीन की पन्नी बेच रहा है, मामा तोताराम सीधा ज्योती के यहां आकर सब कुछ बताता है , ज्योती जब पहुंची तो पटरी वाले दुकानदार उठवाकर अस्पताल ले जा रहे है।
             तोताराम घर जाकर राजू और अपनी बहन यशोधरा को भी बताता है, यशोधरा भरी आंखों और कांपते होटो से कहती हैं - ' मरने दें उसे भाई ,सोच लूंगी मेरे एक ही बेटा है। ' 
लेकिन राजू भय्या मास्क व काला चश्मा लगाकर अस्पताल जाकर,शीशे के बाहर से उसे देखकर मुंह फेर रोने लगते हैं और वापस घर चलें जाते हैं - ' उसकी खाल उधेड़ दी है मां उन्होंने।'


     ज्योति का भाई , टी सी के लिए काम करता है , वह अस्पताल में ही ज्योती को समझाने आता है - ' मैं जानता हूं तु उसे प्यार करती है , वो टीसी से माफी मांग लें तो बात खत्म हो जाएगी मुकदमा भी खत्म हो जाएगा'।
' वो टीसी से माफी नहीं मांगेगा भाई , टीसी ने उसे मार दिया, या उसने टीसी को मार दिया, मैं उसके साथ हूं . '! '। 

पांच दिन बाद मनु को आईपीएस आफिस बुलाया जाता है । वहां से निकल कर मनु सीधा टीसी के बंगले पर जाता है , टीसी के लोग उसकी तरफ रायफल कर देते हैं, तभी टीसी 
उसे कहता है- , ' अगर तुम माफी मांगने आए हो तो मैं तुम्हें माफी मांगने से पहले माफ़ कर दूंगा '
' मैं तेरे दर पे खड़ा होकर युद्ध घोष करता हूं ,तुझे मार कर , इस शहर से तेरी दहशत मिटा दूंगा,, तेरा वो चक्रव्यूह तोड़ दूंगा जिसे अपराधी चलाते हैं,और जो नौजवानों को अपराध की दुनिया में ले जाता है ।'

' मैं वादा कर चुका हूं , अपना कुत्ता बनाने से पहले तुझे नहीं मारुंगा वरना तु कब का मर चुका होता।'
 तुरंत एक गाड़ी तैजी से आती है और मनु को लेकर चली जाती हैं।
         टीसी , जीतू से मनु के बारे में जानकारी लेता है , जीतू बताता है, उसकी बहन का रिश्ता महापालिका में एक क्लर्क सुरेश से हुआ है, और इस पूरी दुनिया में वह सबसे अधिक प्यार और सम्मान वह अपने भाई राजू से करता है , और उसकी प्रेमिका ज्योति है ।
 और नेक्स्ट डे सुरेश टीसी के सामने खड़ा कांप रहा है। सुरेश , सरला से रिश्ता तोड़ने की खबर राजू भय्या को भिजवा देता है। 
      मां यशौधरा सरला दोनों रो रहे हैं। मनु को भी पता चल जाता है। राजू भय्या, सुरेश के घर जाकर हाथ जोड़कर रिश्ता न तोड़ने के लिए कहते हैं, सुरेश नहीं मानता तो जो दो लाख रिंग सेरेमनी पर दिए थे वो मांगते हैं, सुरेश कहता है कि अपने भाई को टीसी के यहां माफी मांगने भेज दें रिश्ता नहीं तोडेंगें, नहीं तो दो लाख भी नहीं मिलेंगे। राजू भय्या निराश होकर आंखों में आसूं लिए वापस चलते है ।
वहीं छिपा मनु अपने भाई के जाने पर सुरेश के घर में घुस जाता है , सुरेश और उसका बाप डर जाते हैं, मनु हाथ जोड़कर कहता है - ' जब एक लड़की का रिश्ता किसी से हो जाता है लड़की उसे लेकर बहुत सी कल्पनाऐं करने लगती है। मेरी बहन ने भी की होंगी, आप ये रिश्ता मत तोड़िए , सुरेश बाबू ।'
' अब रिश्ता टूट गया तो टूट गया तु भाग यहां से गुंडे, टीसी तुझे मार देगा '!
मनु उसके पैर पकड़ लेता है , वें नहीं मानते तो , मनु उसकी नाक काट लेता है - तूने रिश्ता तोड कर हमारी नाक समाज में काटी है '। , और सुरेश को उठाकर बाहर निकलता है तो सामने दारोगा सूरत सिंह की जीप है। उसके बोनट पर सुरेश को पटक देता है।
और सूरत सिंह नाक कटे सुरेश को टीसी के सामने ले जा कर बोलता है - ' हजूर इसकी तो नाक काट लें गया।'
' बुजदिलों की नाक ही कटती है '
टीसी चिंतित हैं, उसके आदमी उसके पास बैठे हैं जो कहते हैं 
' उस मनु के शरीर में इतनी गोली मारेंगे कि सारा शरीर छलनी हो जाए ,आप न मालूम क्यों परेशान हैं। '
' तु मार सकता है उसके अंदर के उस आदमी को ,जो मौत के मुंह में खड़ा होकर मुझे कहता है - तेरा कुत्ता बनने से अच्छा तो , फांसी चढ़के मर जाना अच्छा है.., तु मार सकता है उस आदमी को जो मेरे दरवाजे पर खड़ा होकर कहता है.. तुझे मार कर इस शहर से तेरी दहशत खत्म कर दूंगा, हैं तुम्हारे पास ऐसी गोली जो उसके अंदर के उस आदमी को मार दे जो मेरे आदमी की इसलिए नाक काट लें कि उसने उसकी बहन से रिश्ता तोड लिया। मनु के अल्फाज़ मेरे यहां चुभते हैं यहां ।' ( टीसी अपनी छाती पर हाथ मार कर कहा।)
 सब चुप हो जाते हैं। एक मिनट चुप रह कर कहता है -
' उसके घर का रोज़गार मार दो '।
           और इन शब्दों के साथ ही महापालिका की क्रेन मोटे मोटे रस्से , और छेनी हथोड़े लेकर लेबर चल देती है ,और राजू भय्या के लकड़ी के कियोस्क टाइप दुकान के चारों तरफ रस्से बांध कर उठाती है ठीक उसी समय राजू भय्या पहुंच कर क्रेन पर लटके रस्से को पकड लेते हैं,वो हाथ से छूट जाता है, राजू उसके पीछे-पीछे सड़कों पर पागलों की तरहां आंखों में आसूं लिए दौड़ता है, उसे लगता है स्टाल नहीं क्रेन पर उसकी रोटी लटकी है, कभी लगता है जैसे उसकी मां उस क्रेन पर फांसी लगी लटक रही है, उसे लगता है उसकी बहन ने फांसी लगा ली है वो क्रेन पर लटक रही है , महापालिका के डंप में क्रेन उस कियोस्क को पटक देती है। राजू भय्या आंखों में पानी लिए हाथ जोड़े कह रहे हैं - टीसी बाबू हमारी दुकान दे दीजिए, हम सब भूखे मर जाएंगे टीसी बाबू...मेरी मां बहन तो फांसी लगा लेंगे... महापालिका का एक आदमी उसे बाहर निकाल देता है, राजू रोता हुआ अपने घर जाकर मां को रोता हुआ सब कुछ बताता है। मां कहती हैं - मैं तेरा कियोस्क लेने जाउंगी , '!
   मां सफेद धोती पहन कर टीसी के बंगले पर पहुंच जाती है और कहती हैं - टीसी बाबू से मिलना है '
  टी सी के गनमैन में से एक कहता है - ' टीसी बाबू आराम कर रहे हैं, कुछ कपड़ा लत्ता या पैसे को मदद चाहिए तो हम ही दे देंगे।'
' टी सी बाबू से कहिए मनु की मां आई है ' ।
सारे गनर मनु की मां को देखते हैं और ये आवाज़ सुनते ही गर्दन घूम जाती है, वह बाहर आता है -

' क्या चाहती हो '?
' अपने बेटे की दुकान '
' तेरा छोटा बेटा मनु कहां है? '
' छोटे बेटे की तो हम लाश भी नहीं मांगेगे आपसे '।
' मनु को भेज , ये दुकान सिर्फ वही ले जा सकता है '! ....ये कहकर टीसी वापस जाने के लिए मुड़ा तो मां बोली -
' ठहरिए टीसी बाबू, मौत दो तरह की होती है, एक मौत शारीरिक होती है , जो आपने हमारे पति को दी थी, जिसमें धरती पर पड़े शरीर को सुख , दुख , भूख प्यास , मान अपमान कुछ भी महसूस नही होता है, लेकिन जिस आदमी का रोजगार मर जाता है , वो दुख सुख मान अपमान सब सहने के लिए जिंदा रहता है,ग़रीबी और बेरोजगारी उसके खुद्दारी के एहसास पर हर पल चोट मारती है, उस घर की बहू बेटियों को लोग आसान शिकार समझने लगते है, इसे इंसान की संपूर्ण मौत कहते हैं, ये संपूर्ण मौत हमें मंजूर नही टीसी बाबू ,मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि मेरा बड़ा बेटा भी बागी हो जाए , और दोनों भाई मिलकर तेरा सर काट डाले '
' बदतमीज औरत ' ।
      ठीक इसी समय मनु भागता हुआ आता है और टीसी के पास पहुंच जाता है उसकी पहनी हुई जेकेट पर चारो तरफ बम ( bomb) लगे हैं वो कहता है - ' आज तेरी और अपनी मौत का सामान लेकर आया हूं '!
' गोली नहीं चलाना कोई '!.....टीसी घबराया हुआ बोला।
मनु , टी सी का कालर पकड़ लेता है -
' आज मैं अपनी और तेरी कहानी मिटा दूंगा, '!
 दरवाजे पर जीतू मशीन गन लिए ,मनु के पक्ष में खड़ा है।
मनु टीसी को लेकर चौराहे तक आ जाता है तो टीसी कहता है -
नहीं इतनी सस्ती मौत नहीं मरुंगा , तु मौत से नहीं डरता है तो मौत है मैं भी नहीं डरता हूं।और काॅलर/ छुड़ाकर उसने मनु के साथ फाइट शुरु कर दी। अंतत मनु टीसी को मार देता है।
©® Ashok Verma 
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