गुरुवार, 1 मई 2025

सफर मुहब्बतों का

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कभी वफाऐं कभी जफाऐं
जाने किसको क्या मिल जाये,
ये सफर है मुहब्बतों का 
रूका कभी ना चलता जाए.... 
सफर ऐ मुहब्बत चलता ही जाए.. ||
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कौन बचा सूरज की अगन से ,
कौन बचा है चलती पवन से 
कौन बचा खारों की चुभन से 
और प्रीत की मीठी तपन से 
तपन ये हममें भी जगती जाए...... 
सफर ऐ मुहब्बत चलता ही जाए |
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किस से और कब हो जाता है 
कैसे और क्यूं हो जाता है, 
हर सवाल से आजाद है ये 
होता है बस हो जाता है, 
प्यार के सवालों का जवाब नहीं पाऐ... 
ऐसी पहेली सबको उलझा....... 
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किसी ने कहा है एक हकीकत 
किसी ने समझा है अफसाना 
जिसने जैसे जी है मुहब्बत 
उसने वैसा ही है जाना.. 
कोई दोज़ख कोई जन्नत बताए.... 
सफर एक मुहब्बत. ...
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कभी श्रद्घा की डगर प्रीत है 
कभी आस्था की गागर है 
कभी निस्वार्थ सा निश्चय है ये 
कभी विश्वासों का सागर है, 
प्यार तपस्या भी तो कहाऐ..... 
कभी......

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जज्बातों के आँगन प्रीत का 
पंछी ठुमक ठुमक चलता है 
ख्वाबों के और आरजूओं के 
मोती चुग चुग कर पलता है 
बडे जतन ये ये पाला जाए......  
सबसे तो ये पाला ना जाए.....
© Ashok Verma 

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