सोमवार, 29 सितंबर 2025

तु ही बता चुप कैसे रहूं ( कविता गीत संग्रह)

 

तु ही बता चुप कैसे रहूं
कविता व गीत संग्रह

--------------
( 1.)
तु ही बता चुप कैसे रहूं
-------------

जब
हर हाल जीने की लाचारी
विषकन्या की नाई
अपनी भुजंगी भुजाओं में
जकड़
मेरे जीवन मूल्यों के मर्म में
विषैले दांत गडा रही हो
तू ही बता चुप कैसे रहूं.. ,
जब
किसी कुत्सित जानवर की
गजराजी बलिष्ठ जघांओ के बीच
बलात दबी
कोई बेबस जननी
संसार धारणी नारी का इतिहास
उसकी चीखों 
उसके उत्पीड़न
उसके आंसू और अपमान से
लिखा जा रहा हो
तू ही बता चुप  कैसे रहूं..........
जब -
हर खंजर पे लहू की इबारत
और लिखा कोई नाम ए मज़हब* है,
बडा अजब है,
बडा गजब है,
आदमी से  बडा मज़हब है ,
जब  भूखे  नंगें
गुलाम ए मजहब हो,
जब वजह ज़हालत की
सारे मजहब हो,
तू ही बता चुप कैसे रहूं....।।
(मजहब = धर्म )
©® अशोक वर्मा

 
@ ( 2.)
( क्रांतिकारी को क्रांतिकारी की मां , विवाह के लिए कहती हैं
तो ये रचना क्रांतिकारी का जवाब है।)
🔻एक क्रांतिकारी 🔻
मादरे वतन की बात सुनु
या तेरी बात सुनु मैं मां ,
आंखों में ख्वाब-ए-आजादी
इनमें कुछ ओर बसे ना मां,
जो सर हो झुका गुलामी से
उसपे सेहरा क्या बाधुंगा,
मैं इंकलाब का शैदाई
मुझे चैन कहां , आराम कहां...।।
मादरे वतन की बात सुनु ..
+
दौरे कहर जब रुक जाएगा ,
जुल्म का सर जब झुक जाएगा,
आजाद वतन इक दिन होगा
परचम अपना लहराएगा ,
      कुर्बान वतन पे हुआ अगर
      माटी का क़र्ज़ उतर जाएगा ।।
मैं इंकलाबी बेटा तेरा
इंकलाब से ब्याह रचाऊंगा..


@ ( 3.) गीत
⬇️ 🔻जिंदा है तो .🔻

यूं हीं कभी तु मुस्कराले..
ग़म है कोई तो गीत गाले ,
जिंदा है तो उम्मीद भी रख
हंसते -हंसाते जीवन बिताले।।..
+
नेकी से दुनिया चलती है
बदी सदा दुनिया में हारी,
जिंदगी है प्यार मुहब्बत
प्यार मुहब्बत से जीले लाले..।।
यूं हीं कभी तु मुस्कराले..
+
राह के बारे में कैसा सोचना
पानी है मंजिल  नीयत बनाले ,
हिम्मत वालों ने जीती दुनिया
कह गए सच कहने वाले।।..
बेवजह कभी मुस्कराले.. 🌹


@ ( 4.)
⬇️ 🔻 तु नौजवान है 🔻

हर युग की अग्र पताका तु
हर युग का भाग्य विधाता तु
निर्माण का भगवान है,
बदलाव का वाहक है तु
बदलाव का विधान है,
वक्त की छाती पे चढ़कर साधता कमान है ।।
तु नौजवान है, तु नौजवान है
+
सबके दिल को भाता है
दिल में उतर जाता है
दौर ए वक्त की तु ही तो जान है,
मुश्किलों को चुटकियों में यूं मसलता
वीरता और शौर्य की आन है,
आपदा के सामने भी पीटता तु रान है।।
तु नौजवान है, तु नौजवान है ..
+
पाताल की गहराईयों में घूमता है
पर्वतों की चोटियां जा चूमता है
अंतरिक्ष को मापता
 साहस का तु प्रमाण है,
हर आंख का अरमान है
देश का अभिमान है,
स्वतंत्रता का गीत, विजय का महान गान है।।
तु नौजवान है, तु नौजवान है....🔚


,@( 5.)
⬇️🔻 पढ़ें लिखे बेकार ( गीत)

आलू मटर टमाटर लेलो, लेलो जी कचनार,
एम ए पास हूं, सब्जी बेचूं ,पढ़ा लिखा बेकार ।।
+
बीटैक डिलिवरी मैंन है कोई चौकीदार,
बीएड को देखो भाई बेच रहा अखबार, 
चपरासी की  पोस्ट एक है मांगे कई हजार...
भय्या पढ़ें लिखे बेकार।।
भय्या पढ़ें लिखे बेकार

+
  हाथ करोड़ों मेरे देश में बिना काम बेकार
कैसे देश की होगी तरक्की सपने सब बेकार,
किस्मत देश की बने अगर हो सब पे रोजगार ।।..
एम ए पास हूं, सब्जी बेचूं ,पढ़ा लिखा बेकार ...
+
ये पद्धति है बेकार , बेकार है धिक्कार, ,
भीख मांगना भी बन जाए जिसमें इक रोजगार,
तु ही सुध लेले गर कहीं है , ओ मेरे करतार ।।
भय्या सोयी है सरकार.🔚

@ ( 6.)
🆕🔻 आजकल 🔻
बाप हूं,पर हुं बुढ़ाए बैल सा बेकार तेरे वास्ते
बाद मेरे मगर , तु मुझको याद करेगा ,
अब चाहे जैसा भी सलूक तु करें
मरने के बाद पर तु मेरा श्राद्ध करेगा ।।
+
थक गया हूं, कुछ भी कमाता नहीं हूं अब,
घर का  साजो सामां, लाता   नहीं  हूं अब ,
ऐसे निकम्मे बाप को , तु घर क्यों धरेगा ...।।
मरने के बाद पर तु मेरा...
+
मांगता हूं मैं मिठाई, कहता है परहेज़ कर,
रखता है अपने माल को पूरा सहेज कर,
हां खुद की हरेक आरज़ू पूरी तु करेगा,..।।
मरने के बाद...
+
दुनियादारी तु ही बताने लगा है अब
सारे सबक मुझको सिखाने लगा है अब,
मैं रहूं चुप , बस तु ही बात करेगा।।..
मरने के बाद
+
पितृ दुखी करते हैं जाने के बाद,गर  ये नहीं बताता,
तु श्राद्ध भी न करता जो पंडित नहीं डराता ,
सेवा कर जीवित बाप की  , पितृ कुछ न करेगा।
बाद मेरे मगर तु मुझको याद करेगा...🔚 🔚


@( 7.)
⬇️🔻 गीत
तूने बता कहां दी थी अर्जी
पैदा करना जहां मेरी मर्जी ,
कान खोलकर सुन ले बंदे
पैदा होने में  चलती न मर्जी ।।
+
धर्म बिना तू धरती पे आया
माता-पिता ने धर्म सिखाया ,
हिंदू , मुसलमां तुझे बनाया
तू है माता-पिता की छाया ,
फिर भी धर्म पे गर्व करता है
धर्म नाम पे जीता , मरता है।।
तूने बता कहां दी थी अर्जी...
पैदा होने में  चलती न मर्जी

+
इंसानी जज्बा दुनिया में आला
तेरी सोच  पे है धर्म का ताला ,
धर्म ने इंसानों को बांटा
धर्मों का इतिहास है काला ,
बिन जाने जो किसी को माने
उसे  नकलची बंदर माने।।
तूने बता किसे दी थी अर्जी
पैदा होने में  चलती न मर्जी ..
+
नर्क बना या स्वर्ग बनाले
रहना इसी धरती पे भाई,
दुश्मन है वो इंसानियत का
जिसने इंसान पे छुरी चलाई ।।
तूने बता किसे दी थी अर्जी
पैदा होने में  चलती न मर्जी ..।।

@( 8.) एक रचना

आस्था हो या अकिदा बेजुबान होते हैं
बोलते हों साफ ,ऐसे लोगों की दरकार है ।।

पंडित फादर मौलाना जो कहे सच मान,
अक्ल का दखल नहीं, ये धर्म का मेयार* है।।

सच बोलना हर दौर में इक जुर्म रहा है ,
बोलने वाले की गर्दन काटती तलवार है।‌

धर्म की  किताब  में गर सच लिखा है ,
फिर धर्म पर सवाल से क्यों इंकार है ।।

( मेयार- जाँचने का पत्थर; परख या जाँच पड़ताल की विधी, कसौटी; सोना-चाँदी तौलने का काँटा, पैमाना, नाप, आंकलन, अनुमान; विधी, प्रणाली, ढंग, तरीक़ा; आचार-व्यवहार, कृतियोंं की परख, जाँच · नियम, सिद्धांत )

@( 9.)

🆕
🔻 आई फॉर इंडिया  🔻 ( गीत )
रोज नयी मंजिलो को तय कर
रोज नया  हौंसला दिखा  तु,
जोशो खरोश भरे बाजू
झूम झूम कर आज गा तु,
आई फोर इंडिया, आई फोर इंडिया, आई फोर इंडिया
हम सब हैं भारतवासी, हम सब हैं भारतवासी ...
+
सर्व धर्म सम भाव अपनाया
किसी को ना समझा पराया,
विश्व भर के लोगों को हमने
अपने गले से लगाया,
ऐसे बना इंडिया, अपना प्यारा इंडिया ,सबका प्यारा इंडिया...
हम सब हैं  भारतवासी, हम सब हैं भारतवासी ..||
+
हमने ही दुनिया को दिया है
वसुंधेव कुटुम्बकम का नारा,
आओ रहें मिलजुलकर
विश्व में फैलाए भाईचारा,
दे संदेश इंडिया, दे संदेश इंडिया, दे संदेश  इंडिया..
हम सब हैं  भारतवासी,  हम सब हैं भारतवासी.... ||
+
भूख प्यास और अशिक्षा
ना हो ऐसा विश्व बनाएं,
मानवता की मदद करे हम
हम सबको राह दिखाएं,
हाथ बढाए इंडिया, हाथ बढाए इंडिया, हाथ मिलाए इंडिया...
हम सब हैं  भारतवासी, हम सब हैं भारतवासी,.... ||
4
शून्य देकर अंक गणित को
भारत ने पूर्ण बनाया ,
जिससे जो मिला सीखा हमने
जो हमारे पास था सिखाया,
जय हो जय हो इंडिया, जय हो जय हो  इंडिया, जय हो  जय हो इंडिया....
हम सब हैं विश्व  के वासी,  हम  सब हैं  विश्व के वासी,
हम सब हैं विश्व के वासी... || 🔚

@( 10.)
🔻पानी पर एक गीत
----------------------------

रहिमन पानी राखिए,बिन पानी सब सून,
बिन पानी ना ऊबरे मोती मानुष चून।।

पानी है तेरी मेरी जिंदगानी,
बिन पानी जिएं नही कोई प्राणी।।
+
लुट गये सारे ताल तलेय्या,
मैली हो गई गंगा मैय्या,
बिन पानी नहीं  उपजे कुछ भी
बिन पानी जीए ना सौन चिरेय्या...।।
बचा ले पानी,बचा सके तो बचा ले पानी...
+
मां धरती हुई जाती  बंजर
वृक्षों पे चलते कुल्हाड़े खंजर,
सत्यानाश करे  ये तरक्की ,
विष घोला भू जल के अंदर..।।
बचा ले पानी,बचा सके तो बचा ले पानी.......
+
आज हम गली मुहल्लों में लड़ते
दुर्लभ होता जाता है पानी
एक दिन देशों के बीच जंग का
कारण  बन न जाए यही पानी, ।।
बचा ले पानी,बचा सके तो बचा ले पानी........🔚

@ ( 11.) गुस्सा इस दौर का..

🔻ऊपर देखा ना नीचे देखा ,दांए देखा ना बाएं
राह चलते बाबू ने गालों पे दो जमाए,
गुस्सा इस दौर का  समझ नहीं आए
छौटी-छोटी  बातों पे लोग बिगड़ जाएं  ..।।
गुस्सा इस दौर का  समझ नही  आए..
+
जहां भी देखो भागम भाग लगी है
चारों तरफ जैसे कोई आग लगी है,
ऐसा तनाव बाबू जिंदगी खा जाए...।।
दौड़ इस दौर की समझ नहीं आए..
छौटी-छोटी  बातों पे लोग बिगड़ जाएं
+
जिसे देखो वही आंखें तिरछी करता है,
गालियों की जी भर बौछार करता है,
हाथ गिरेंबां पे झट से चला जाए..।।
गुस्सा इस दौर का समझ नहीं आए..
+
हंसी होंठों पे कहीं दिखती नहीं है ,
बाबु बाजार में ये बिकती नहीं है ,
प्यार गायब दिलों से,अब नजर न आए।।
छौटी-छोटी  बातों पे लोग बिगड़ जाएं..
+
माफ कर दोगे सर ऊंचा उठ जायेगा
दुआ हजार कोई आपको दे जाएगा,
खुशियों का इंद्रधनुष दिल में उतर आए।।..
जिंदगी प्यार से फूलों सी खिल जाए...🌹

@ (12.)
लोक धुनों पर आधारित गीत ⬇️
-------------
झूठे बेईमान राजा ,झूठे बेईमान
वोट लेंवे, फुर्र से उड़ जावें ,
पांच बरस तक पलट ना आवें ।।...
झूठे बेईमान राजा , झूठे बेईमान ..
+
वादे सौ करें , वोट लेने से पहले ,
चरण भी छूंए  वोट लेने से पहले,
वोट मिलते ही राजा सब भूल जावें ।।..
झूठे बेईमान राजा , झूठे बेईमान ..
+
जनता के धन पे मौज उडावें
देस का पैसा बिदेस ले जावें,
ऐसे राजा के सखी कीड़े पड़ जावें।।... ....
झूठे बेईमान राजा , झूठे बेईमान ..🔚

@( 13.)
⬇️ लोक धुनों पर आधारित

किसको दूं वोट सखी किसको दूं वोट
नीयत में नेताओं की खोट ही खोट ।।
सखी ,किसको दूं वोट   ..
+
बचपन बीता गयी जवानी , गांव न पहुंचा पानी,
पानी- पानी करते मर गयी अपनी बूढ़ी नानी,
उंगरी नीली पड  गयी, सत्तर बरस से देते वोट।।..
किसको दूं वोट सखी किसको दूं वोट..
+
जादूगर हो गया है नेता आंख ना खुलनें देता ,
वादों की मोहिनी संग आता और बुद्धि हर लेता,
समझ न आवे इस बगुले की नीयत में जो खोट ।। ..
किसको दूं वोट सखी किसको दूं वोट
+
देश को पेट भरनवारो भी खेत में जा मर जावें
करता- करता हारे है , पर कर्ज तार ना पावे,,
जिंदगी उसकी खा गये बैंक के रंग रंगीले नोट।।...
किसको दूं वोट सखी किसको दूं वोट
आजकल के नैताओं की नीयत में खोट ...।।

@ ( 14.)
⬇️ लोक धुनों पर आधारित

चारपाई दूर डालो हमसे भरतार
कैसे संभालेंगे बच्चों की कतार..।।
+
जब तक बदन गठीला थारे काम में हाथ बंटावें
बच्चा बहुत जने तो बलमा , खटिया से लग जावें
रुक जाएगी बलमा घर की गाड़ी की रफ्तार ।।..
चारपाई दूर डालो हमसे भरतार
+
ना अच्छे से पल पाएंगे ना काबिल बन पांए,
बहुत सारे हों बच्चे  गृहस्थी , नर्क जैसी हो जाए,
कोई करें मजूरी कोई होगा पाकेटमार ।। ...
चारपाई दूर डालो हमसे भरतार
+
जब तक है हम सुंदर , तब तक बलम की प्यारी नारी,
रुप ढला तो ढूंढ लाओगे सौतन कोई हमारी,
काहे करें हम अपने हाथों अपना बंटा ढार।।
चारपाई दूर डालो हमसे भरतार ..

@ ( 15.)
अच्छी दे तालीम हमें तु अच्छे दे स्कूल ( लोक धुन पर)
----------------

यही कहे है अली एंथनी,यही कहे हरफूल,
अच्छी दे तालीम हमें तु अच्छे दे स्कूल।।...
+
हम ही ने सौंपी कुर्सी तुझको हमीं ने सौंपा ताज,
सेवा करेगा कहके तूने मांगा हमसे राज
वादे पूरे करदे,  बात है ,यही सिर्फ माकूल।।.
अच्छी दे तालीम हमें तु अच्छे दे स्कूल।।...
+
भ्रष्टाचारी मोज मनावें करता है गुड़ फील
बच्चों को दें कीड़ों वाला, गंदा मिड डे मील,
नेता जी ये बात आपकी कुर्सी के प्रतिकूल।।..
अच्छी दे तालीम हमें तु अच्छे दे स्कूल।।...
+
फ़र्ज़ है ये सरकार का शिक्षा दे सबको अनुकूल
जनसंख्या के अनुपात में हों अच्छे स्कूल,
हे सरकार जी ,बात समझ लो,नहीं बनावो फूल।।...
अच्छी दे तालीम हमें तु अच्छे दे स्कूल।।...
+
प्राइवेट स्कूल के हाथों जनता लुट जाती है,
विधी आपकी कोई न उनपे रोक लगाती है ,
काहे कर रहे बंद आप सब सरकारी स्कूल..!..
अच्छे नहीं दिए स्कूल …...

@ ( 16.)

हर कदम पे  मंदिर ,मस्जिद, मजार है
ये धर्म बेचने वालों का बाजार है।।
बेचे खुदा की नेमतें और खुदा का डर,
स्वर्ग बेचना भी , इसी का कारोबार है।।
जादुई है इसका जाल,ये फंसाने में कमाल
धर्म के पेशे में माहिर,खूब असरदार है।।
न किसी को मिला न किसी ने देखा खुदा,
तेरा यकीन उस पर तु कितना लाचार है।।
बाजार से खरीदा है तूने जिन बुतों को
उन्हें ही पूजता है, तु मूर्खों का सरदार है।।
यकीन कर, गर है कोई , तो निराकार है
धर्म के बाजार,  में न उसकी सरकार है।।
खुदा ने अपनी ताकत नहीं दी किसी को
फिर भी  मुल्ला जी बने,  उसके ठेकेदार हैं।।
( खुदा = ईश्वर /भगवान )
मुल्ला जी = पंडित जी

@ ( 17.)
गीत
जोश और जज्बात पे रखो काबू ,
लड़ना भिड़ना ठीक नहीं बाबू।।
+
अहम को घर में छोड़ सड़क पे चलना
ठीक न आपा खोना  और झगड़ना
गुस्सा अक्ल को खा जाता है बाबू।।..
लड़ना भिड़ना ठीक नहीं बाबू...
+
माना ग़लत है कोई ठीक तु ही है,
क्या तुझसे गलती नहीं हो सकती है ,
कर के माफ बड़ा बन कह गया बापू...।।
लड़ना भिड़ना ठीक नहीं बाबू...
+
फ़ैला दें तु प्रेम से  अपनी  बाहें,
गैर भी सब  कुछ भूल तेरा  हो जाए,
प्रेम से बढ़कर कोई नहीं जादू।।...
लड़ना भिड़ना ठीक नहीं बाबू ..🔚

(18.)कविता
नहीं कोई बेगाना जहां में
धरती पे सब भाई -भाई,
खूबसूरत है ये  जिदंगी ,
इसे प्यार से जीले भाई।।
+
ईश्वर का कोई धर्म नहीं है
हमने धर्म और जात बनाई
इक दूजे का दर्द बांटना
सबसे बडा़ धर्म है भाई।।
प्यार मुहब्बत से जीले ..।।.
+
जंग तो जख्म छोड़ जाती है
जंग न मसलो का हल भाई,
जंग तरक्की के सपने जलाती
अम्न में ही है सबकी भलाई।।...,
प्यार मुहब्बत से जीले भाई।।..
+
नर्क बना या स्वर्ग बनाले
रहना इसी धरा पे भाई,
दुश्मन है वो इंसानियत का
जिसने इंसान पे छुरी चलाई।।
जीवन प्यार से जीले भाई..
+
इक दिन है  धरती से  जाना
सदा न यहां पे रहे ठिकाना ,
धर्म और मजहब घर के भीतर
बाहर  पैदा करते खाई ..।।
प्यार मुहब्बत से जीले भाई...🔚🔚

( 19.)@.  कविता
मैं भी तेरी तरह बेफिक्र सी सीटी बजाऊं,
मैं भी मेहनत करुं ईमान से रोटी कमाऊं,
मैं भी सम्मान से जीऊं मेरा मन करता है
ये तुम मर्दों को क्यूं अखरता है।।...
+
घर की देहरी  , क्यों बनाना चाहते हो,
बीते जमाने की स्त्री  बनाना चाहते हो,
हाड़ मांस से बनी हुई, तुम जैसी ही इंसान हूं
ख्वाहिशें मेरी भी है,  मै नही  बेजान  हूं , ..।। 
नये दौर की पहचान हूं,
ये तुम्हे क्यूं अखरता है.. ।।
+
मेरे हिस्से का आसमान मैं भी चाहती हूं
इस दुनिया में,मैं भी , मेरा मकाम चाहती हूं ,
हाथ फैलाना मुझे अच्छा नहीं लगता
मिला कदम तुम्हारे साथ चलना चाहती हूं ।
मेरा ये चाहना , तुम्हें क्यूं अखरता है ...

   ( 20.)                  

तु ही बता ...⬇️
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तू ही बता चुप कैसे रहूं
कैसे सहूं ये सब कैसे सहूं ।।
+
अन्याय सब सीमाएं तोड रहा हो
दम इंसानियत का निचोड़ रहा हो,
गैरत मेरी जब मुझे ललकारती हो
खामोशियों को मेरी दुत्कारती हो,
तु ही बता चुप कैसे रहूं...
+
अस्तित्व को भूख प्यास छलती जाती हो
जीने की लालसा जब कहर बनके आती हो,
वेदनाएं जब बनती जाती हो विरासत,
जब बनती जाती हो गुलामी भी आदत ,
तु ही बता चुप कैसे रहूं.....
+
सोने की चिड़िया के मालिक अमीर हो
हाकिम और कानून जब बेजमीर हों,
भूखी प्यासी देहों का क्रूर दोहन होता हो
उठी हर निगाह  का मान मर्दन होता हो,
तुही बता चुप कैसे रहूं
कैसे सहूं ये सब कैसे सहूं।।🔚

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तु ही बता चुप कैसे रहूं ( कविता गीत संग्रह)

  तु ही बता चुप कैसे रहूं कविता व गीत संग्रह -------------- ( 1.) तु ही बता चुप कैसे रहूं ------------- जब हर हाल जीने की लाचारी विष...